दोस्तों भारत जल्द ही टीबी (Tuberculosis) की वैक्सीन का उत्पादन कर सकता है जिससे व्यस्को को टीबी की बीमारी का इलाज मिल पाएगा।
ट्यूबरक्लोसिस या फिर टीबी (TB) एक जानलेवा बीमारी है जिसका इलाज काफी ज्यादा समय का होता है। लेकिन अब भारत इस बीमारी के खिलाफ एक नए हथियार की खोज कर ली है। जी हां आपने सही सुना, सरकारी सूत्रों के मुताबिक जल्द ही भारत में जल्द ही भारत में वयस्कों के लिए एक रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीका (Recombinatory BCG Vaccine) उपलब्ध हो सकता है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) (SII) एक रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके पर काम कर रही है। वयस्कों (adults) पर तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।
यह परीक्षण (Trial) भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की निदेशक डॉ प्रिया अब्राहम ने कहा की “ICMR-NARI भारत के टीबी उन्मूलन के लक्ष्य में मदद करने के लिए विभिन्न मोर्चों पर काम कर रहा है। इसमें बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी और टीबी वैक्सीन परीक्षण के लिए उपचार परीक्षण शामिल हैं”।
पुणे में आईसीएमआर (ICMR) - राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान (NARI) के एक वैज्ञानिक डॉ सुचित कांबले ने बताया कि स्वस्थ घरों में तपेदिक को रोकने में टीबी के दो टीके उम्मीदवारों - वीपीएम 1002 (VPM1002) और इम्यूनोवैक (immunovac) की प्रभावकारिता और सुरक्षा का मूल्यांकन (efficacy) करने के लिए परीक्षण चल रहे हैं।
2025 तक टीबी का टीका उपलब्ध हो सकता है
सरकारी सूत्रों के अनुसार वयस्कों के लिए रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीका 1-2 साल में उपलब्ध हो सकता है। यह वर्ष 2025 तक भारत से टीबी खत्म करने के अभियान की सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है। वर्ष 2022, इंडिया टीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2021 के दौरान टीबी के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में 19 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के मुताबिक, लगभग 30 फीसदी आबादी के शरीर में पहले से ही टीबी का बैक्टीरिया (bacteria) मौजूद है। और जो लोग कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले हैं उनके शरीर में टीबी का बैक्टीरिया बढ़ना शुरू कर देता है जिससे वे लोग बीमार हो जाते हैं। अगर आप स्वस्थ आहार का सेवन करें और पोषण संतुलन बनाए रखें तो आपकी जिंदगी में टीबी रोग होने की संभावना 10 फीसदी होगी। वर्तमान में एक वर्ष से कम आयु वाले शिशुओं को बीसीजी का टीका लगाया जाता है। यह बचपन में बच्चों को टीबी के गंभीर रूपों से बचाता है। हालांकि अभी वयस्कों के पास ऐसी कोई टीका सुरक्षा नहीं है।
ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की वेबसाइट के मुताबिक, 16 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले किसी भी व्यक्ति को बीसीजी (BCG) का टीका शायद ही कभी लगाया जाता है क्योंकि इस बात के प्रमाण बहुत कम हैं कि इससे वयस्कों को कोई लाभ मिलेगा। हालांकि कुछ ऐसे लोग (16-35 आयु) जिन्हें अपने काम की प्रकृति के कारण टीबी का खतरा है उन्हें यह टीका लगाया जाता है।
वीपीएम1002 (VPM1002) टीके की अनुमति मांगी
रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके (Recombinatory BCG Vaccine) उन्नत प्रौद्योगिकी (Advance Engineering) के जरिए बनाए जाते हैं। एसआईआई (SII) ने पहले ही भारत के दवा विनियामक (Drug Regulator) से दक्षिण अफ्रीकी परीक्षणों के आंकड़ों के आधार पर छह वर्ष तक के बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिए रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके (वीपीएम1002) की अनुमति मांग ली है। एसआईआई (SII) ने दक्षिण अफ्रीका के परीक्षणों से प्राप्त शिशुओं (kids) पर रिपोर्ट अप्रैल में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) को सलाह देने वाली विषय विशेषज्ञ समिति को पेश किए थे जिसमें 2,000 वयस्क प्रतिभागियों में टीबी की रोकथाम के उद्देश्य से चरण दो और तीन का परीक्षण जारी है।
एक विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) (SEC) जो टीकों से संबंधित उद्योग प्रस्तावों पर औषधि महानियंत्रक (DCG) (भारत) को सलाह देती है, ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) (SII) को छह वर्ष की आयु तक के बच्चों में तपेदिक (टीबी) की रोकथाम के लिए रिकॉम्बिनेंट बीसीजी (आर-बीसीजी) (r-BCG) वैक्सीन पर सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता (immunogenicity) डेटा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अगर भारत छह साल तक के बच्चों के लिए आर-बीसीजी की सुरक्षा के दायरे में विस्तार करने का फैसला करता है, तो इससे भी इस सुरक्षा दायरे में काफी इजाफा होगा। इसके अलावा वयस्क परीक्षण (2,000 से अधिक के प्रतिभागियों पर) के आंकड़े भी आने वाले हैं और इसलिए आर-बीसीजी टीके के समान सुरक्षा दायरे का विस्तार वयस्कों के लिए भी किया जा सकता है। साथ ही 12,000 प्रतिभागियों में आर-बीसीजी (r-BCG) टीके का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण (clinical trial) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के द्वारा किया जा रहा है। आईसीएमआर (ICMR) ने इस क्लिनिकल परीक्षण कि रिपोर्ट अभी पेश नहीं की हैं।